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भारतीय सेना को मिलेगा ₹30 हजार करोड़ का एडवांस QRSAM सिस्टम, दुश्मनों को देगा करारा जवाब, जानिए पूरा मामला

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Posted On:Monday, June 9, 2025

मुंबई, 09 जून, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। भारतीय सेना को जल्द ही करीब ₹30 हजार करोड़ की लागत वाला क्विक रिएक्शन सरफेस टू एयर मिसाइल सिस्टम यानी QRSAM मिलने जा रहा है। रक्षा मंत्रालय इस सिस्टम की तीन रेजिमेंट्स खरीदने के प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार कर रहा है, जिन्हें देश के पश्चिमी और उत्तरी सीमाओं पर तैनात किया जाएगा। इस हाईटेक डिफेंस सिस्टम को डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन यानी DRDO ने स्वदेशी तकनीक से तैयार किया है और इसकी खासियत है कि इसे कहीं भी आसानी से ले जाया जा सकता है।

QRSAM की ताकत यह है कि यह चलते टारगेट को खोज सकता है, उसे ट्रैक कर सकता है और बहुत कम समय में फायर करने की क्षमता रखता है। करीब 30 किलोमीटर की रेंज के साथ यह मीडियम रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल सिस्टम (MRSAM) और देश में पहले से मौजूद आकाश जैसे सिस्टम को सपोर्ट करेगा। इसे दिन और रात दोनों परिस्थितियों में सफलतापूर्वक टेस्ट किया जा चुका है और इसे सेना में शामिल करने को लेकर रक्षा परिषद की बैठक जून के चौथे सप्ताह में प्रस्तावित है। हाल ही में 7 से 10 मई के बीच भारत और पाकिस्तान के बीच हुई तनातनी के दौरान पाकिस्तान की ओर से लॉन्च की गईं चीनी मिसाइलों और इजराइली ड्रोन सिस्टम को भारत ने हवा में ही खत्म कर दिया था। इस कार्रवाई में आकाशतीर, S-400 और आयरन ड्रोन सिस्टम की निर्णायक भूमिका रही। इनमें सबसे प्रभावशाली प्रदर्शन स्वदेशी विकसित आकाशतीर एयर डिफेंस सिस्टम ने किया।

आकाशतीर सिस्टम पूरी तरह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित है, जो लो-लेवल एयरस्पेस की निगरानी करता है और जमीन पर तैनात सभी एयर डिफेंस हथियारों को एक नेटवर्क के जरिए जोड़कर उन्हें नियंत्रित करता है। यह सिस्टम रडार, सेंसर और संचार माध्यमों को एकीकृत कर एक शक्तिशाली नेटवर्क बनाता है, जो रियल टाइम में खतरे की पहचान, ट्रैकिंग और न्यूट्रलाइजेशन करने की क्षमता रखता है। इसके अलावा भारत के पास रूस से खरीदा गया अत्याधुनिक S-400 एयर डिफेंस सिस्टम भी है, जिसकी गिनती दुनिया के सबसे प्रभावी एयर डिफेंस सिस्टम्स में होती है। यह दुश्मन के मिसाइल, ड्रोन, फाइटर जेट और रॉकेट अटैक को रोकने में सक्षम है। भारत और रूस के बीच 2018 में पांच यूनिट्स के लिए करीब ₹40 हजार करोड़ की डील हुई थी। इस सिस्टम की सबसे बड़ी खूबी इसकी मोबाइलिटी है यानी इसे कहीं भी तैनात किया जा सकता है। S-400 में लगा एडवांस 92N6E रडार करीब 600 किलोमीटर दूर से ही टारगेट्स को पहचान सकता है और यह सिस्टम महज 5 से 10 मिनट के भीतर ऑपरेशन के लिए तैयार हो जाता है। एक यूनिट से एक साथ 160 ऑब्जेक्ट्स को ट्रैक किया जा सकता है और एक टारगेट पर दो मिसाइलें दागी जा सकती हैं। भारत को जो सिस्टम मिला है, उसकी रेंज 400 किलोमीटर है यानी यह दुश्मन को काफी पहले से ही डिटेक्ट कर प्रतिक्रिया दे सकता है और 30 किलोमीटर की ऊंचाई तक टारगेट को मार गिरा सकता है।


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